न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही। न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही।
मैं डाँटू दादी बनके, तुम बच्चों जैसे सुनते रहना। मैं डाँटू दादी बनके, तुम बच्चों जैसे सुनते रहना।
फिर कलम से कर ली थीं मैंने दोस्ती, दिल-ए-जज़्बात शब्दों में सजाने को। फिर कलम से कर ली थीं मैंने दोस्ती, दिल-ए-जज़्बात शब्दों में सजाने को।
जहाँ मुँडेरों से आती थी, कौवों की नित काँव। सारे जग में जहाँ मुँडेरों से आती थी, कौवों की नित काँव। सारे जग में
मुकम्मल हो रही है "मीन" एक अधूरी दास्तान तेरी कविता लिख जाने के बाद। मुकम्मल हो रही है "मीन" एक अधूरी दास्तान तेरी कविता लिख जाने के बाद।
क्या फ़र्क़ पड़ता है कि क्या देखा है मैंने सपना क्या फ़र्क़ पड़ता है कि क्या देखा है मैंने सपना